हरियाणा के सचिव रैंक के IAS अफसर प्रदीप कासनी अब रिटायर हो चुके है, ये वही अफसर है जिनको 34 साल के कार्यकाल में 70 तबादले झेलने पड़े है | चौंकाने वाली बात ये है कि पिछले छ: महीने से IAS प्रदीप कासनी को तनख्वाह नही मिल रही थी , और ताज्जुब करने वाली बात यह भी है कि इन्हें जिन विभाग में तैनात किया गया था वह विभाग है ही नही |
प्रदीप को लैंड यूज विभाग में OSD के पद पर तैनात किया गया था , और ये विभाग काफी पहले हरियाणा सरकार द्वारा बंद किया जा चूका है |
अब सवाल उठता है IAS एसोसिएशन पर जो हाल ही में दिल्ली के मुख्य सचिव IAS, अंशु प्रकाश के साथ हुई कथित मारपीट और बदसलूकी के खिलाफ रोज मोमबत्ती लेकर इधर उधर टहलने निकल पड़ते है और साथ ही पिछले एक सप्ताह भर से दिल्ली के रोज के सरकारी कामो को ब्रेक लगा कर खुश होकर अहंकार में है |

दिल्ली की आम आदमी पार्टी के दो विधायको पर मुख्य सचिव ने थप्पड़ मारने का आरोप लगाया और मात्र चौबीस घंटे में जनता के प्रतिनिधियों को दिल्ली की पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया | थप्पड़ के कोई सबूत माननीय न्यायालय के सामने पुलिस द्वारा पेश नही किये जा चुके लेकिन फिर भी दोनों विधायक अभी न्यायिक हिरासत में है | और दिल्ली की बहादुर पुलिस मात्र दो थप्पड़ो के लिए 150 पुलिसकर्मी दर्जनों गाड़ियाँ लेकर चुने हुए मुख्यमंत्री के निवास तक पर छापा मार देती है | क्या मात्र दो थप्पड़ के लिए सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग जायज है ?? वो भी ऐसे थप्पड़ जिनका कोई प्रमाण ही नही है |

एक विधायक अगर गिरफ्तार होता है तो उसके विधानसभा क्षेत्र की पूरी जनता को गिरफ्तार समझा जा सकता है ये बात ठीक उसी तर्क पर आधारित है जोकि IAS एसोसिएशन द्वारा दिया जा रहा है कि एक अधिकारी का अपमान देश भर के अधिकारीयों का अपमान है , तो आखिर क्यों ना इसी तर्क से एक विधायक की गिरफ्तारी उसके सभी विधानसभा मतदाताओं की गिरफ्तारी समझी जाए वो भी एक ऐसे मामले में जिसके कोई सबूत ही नही है |
IAS एसोसिएशन का दोहरा दोगलापन – शक्तिविहीन सरकार से डर का ढोंग

बात करते है IAS एसोसिएशन के दोहरे दोगलेपन तथा सांप प्रवर्ती की, यहाँ सांप प्रवर्ती कहना इस लिए जायज है क्योंकि बहुत से अहम् मुद्दों पर इस बिन पैंदे के एसोसिएशन को सांप ही सूंघ जाता है | देश में अनेक मुद्दे है जिनको अगर IAS एसोसिएशन समय रहते उठाये , उनपर ध्यान दे तो देश तथा देश की जनता का भला होगा | चलिए छोडिये देश की जनता का भला , क्या IAS एसोसिएशन अपने सदस्यों का भला कर रही है ?
यह प्रश्न बिलकुल जायज है , क्या IAS एसोसिएशन अपने सदस्यों के साथ हमेशा खड़ी होती है या फिर सिर्फ ड्रामा करना इनका मकसद सा हो गया है ? मुझे याद नही की देश के इतिहास में IAS संघ ने किसी चुनी हुई सरकार का इतना भयंकर विरोध किया हो जितना की दिल्ली की चुनी हुई सरकार का किया जा रहा | ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि दिल्ली की सरकार प्रचंड बहुमत से बनी हुई सरकार है तथा पूर्ण रूप से लोकतान्त्रिक है लेकिन सिस्टम की खामी तथा राजनीतिक बैर के चलते इस चुनी हुई सरकार को शक्तिविहीन कर दिया गया है |
लेकिन आश्चर्यजनक बात है कि एक शक्तिविहीन सरकार से भी इन शक्तिशाली और संपन्न IAS अधिकारीयों को डर लगता है, दिल्ली का बच्चा बच्चा जानता है कि केजरीवाल सरकार के पास कोई ऐसी शक्ति नही है जिससे वो किसी को भी डरा सके तो फिर इन अधिकारीयों को डर कैसा है ?? क्या वास्तव में ये डर इन्ही को लग रहा है या इनके पीछे किसी और का राजनीतिक भविष्य रुपी डर छुपा है जो इनके हाथो की मोमबत्ती को चालबाजी के रास्ते साफ़ दिख रहा है |
सांप कैसे सूंघ गया है इनको
प्रदीप कासनी के मामले पर IAS एसोसिएशन ऐसे चुप्पी साधे हुए है जैसे प्रदीप इनके सदस्य है ही नही या फिर ये वो वाली चुप्पी है जिसका शिकार हम और आप स्कूल के पुस्तकालय में लाइब्रेरियन के कहने पर हुआ करते थे | तो चलिए आपको बता दें की ये चुप्पी पहली बार नही हुई है , ऐसे ढेरों मुद्दे है जहाँ इस बिन पैंदी की ट्विटरबाज़ एसोसिएशन ने चुप्पी धारण की है :
आईएएस अधिकारी DK रवि की रहस्यमयी मृत्यु
आईएएस अनुराग तिवारी की लखनऊ में अचानक मृत्यु
महिला IAS दुर्गा शक्ति नागपाल का निलंबन , SP सरकार में यूपी में
हरियाणा IAS अधिकारी अशोक खेमका के साथ अन्याय
IAS वी.के बंसल और उनके परिवार की आत्महत्या और सुसाइड पत्र में अमित शाह का नाम
हरियाणा IAS कुंडू की बेटी वर्णिका कुंडू के अपहरण की कोशिश भाजपा नेता के बेटे द्वारा
IAS प्रदीप कासनी को मुख्य सचिव द्वारा धमकी देना
क्यों आईएएस एसोसिएशन प्रदीप और ऐसे कई छुपे हुए पीड़ित अधिकारीयों का साथ नही दे रही है , क्या इन्हें काम पर ध्यान नही देना चाहिए बजाय रोज हजार रूपए की मोमबत्ती बर्बाद करने के और खुद का राजनीतिक इश्तेमाल क्या इन्हें नही रोकना चाहिए |
(A Reader’s Opinion)